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Toh Chale Aao by Mansi Soni | The Social House Poetry | #LovePoem #Relationship #TohChaleAao
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Toh Chale Aao by Mansi Soni | The Social House Poetry #LovePoem #Relationship #TohChaleAao |
इस कविता के बारे में :
इस काव्य 'तोह चले आओ' को Social House के लेबल के तहत मानसी सोनी ने लिखा और प्रस्तुत किया है।
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की सो जाऊ में कभी ठण्ड में
की सो जाऊ में कभी ठण्ड में
सोफे पर बिन जगाये मुझे कम्बल उड़ा कर
मेरे कमरे तक पंहुचा सको
तोह चले आओ
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की खूब बारिश हो जिस दिन
की खूब बारिश हो जिस दिन
और में जमकर भीग जाऊ
बस करो बीमार पड़ जाओगी कह कर
छत से मुझे नीचे पुकार सको
तोह चले आओ
***
भूक नहीं लगी कहकर ज़िद्द करुँगी जब
भूक नहीं लगी कहकर ज़िद्द करुँगी जब
एक - एक निवाले को अपना नाम
देकर खिला सको
तोह चले आओ
***
की बिन कहे मेरी ख्वाहिशो को कोई
समझ जाये
इतना काबिल कोई नहीं मेरी नज़रो में
की बिन कहे मेरी ख्वाहिशो को कोई
समझ जाये
इतना काबिल कोई नहीं मेरी नज़रो में
मगर हां
मेरी आधी जुबां से निकली चीज़ को कुछ
पालो में
मेरे हाथ में थमा सको
तोह चले आओ
***
की जिस दिन गूंजे न मेरी हंसी
की जिस दिन गूंजे न मेरी हंसी
मगर चेहरे पे मेरे मुस्कान हो
किस बात का ग़म है पूछ कर
मुझे सीने से लगा सको
तोह चले आओ
***
मेरी छोटी सी छोटी ख़ुशी के खातिर
अपनी लाखो खुशियों का गाला दबा सको
तोह चले आओ
***
कभी बन ठन के घूमने जाये कहि पर
कभी बन ठन के घूमने जाये कहि पर
मुझसे ज्यादा खूबसूरत लगने के बाद भी
लाओ तुम्हारी एक तस्वीर खींच दू कह सको
तोह चले आओ
***
माँ बाप सी मोहब्बत मुझे कोई नहीं कर
पयेगा ये यकीन है मुझे
माँ बाप सी मोहब्बत मुझे कोई नहीं कर
पयेगा ये यकीन है मुझे
मगर उनकी थोड़ी सी भी छभी तुम मुझे
खुद में दिखा सको
तोह चले आओ
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सुनिए इस कविता का ऑडियो वर्शन
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... Thank You ...
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