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Jaan Meri Baat Samajh Lo Andhera Hai | Kanha Kamboj | Poetry | G Talks

इस कविता के बारे में :

इस काव्य ‘जान मेरी बात समझ लो अँधेरा है’ को G talks के लेबल के तहत ‘कान्हा कंबोज’ ने लिखा और प्रस्तुत किया है।

*****

यह कि जान थोड़ा संभलो अंधेरा हैं

या कमर से जकड़ लो अंधेरा हैं 

जान थोड़ा संभलो अंधेरा हैं 

या कमर से जकड़ लो अंधेरा हैं

***

फिर कभी सुनाना डरावना किस्सा कोई-2

फिलहाल मेरी बात समझलो अंधेरा हैं-2

***

यह कि जान थोड़ा संभलो अंधेरा है 

या कमर से जकड़ लो अंधेरा हैं

फिर कभी सुनाना डरावना किस्सा कोई

फिलहाल मेरी बात समझलो अंधेरा हैं

***

यूँ बेबात ना लड़कर जाओ दूर हमसे -2

यार पास रहकर झगड़ लो अंधेरा हैं-2

मैं उसे गले लगाने वाला था वो 

चिल्ला कर बोली -2

चुपचाप बस हाथ पकड़ लो अंधेरा हैं-2

***

जिस मासूम को सिखाया कहानी 

लिखना हमने-2

वो हमें सिखा रहा हैं किरदार बदल लो

अंधेरा हैं-2

***

और फिर कभी करना इधर उधर 

की बातें कान्हा

फिर कभी करना इधर उधर 

की बातें कान्हा

कान्हा फिलहाल तुम अपने 

मन की कर लो

अंधेरा हैं

*****

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