Dr. Rahat Indori - Zameen Maa Hai Zamin Ko Daga Nahin Denge
राहत इंदौरी के बारे में :-
राहत कुरैशी, जिसे बाद में राहत इंदौरी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफतुल्लाह कुरैशी, कपड़ा मिल मजदूर और उनकी पत्नी मकबूल उन निसा बेगम के यहाँ हुआ था। वह उनका चौथा बच्चा था।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर से की जहाँ से उन्होंने अपनी हायर सेकंडरी पूरी की। उन्होंने 1973 में इस्लामिया करीमिया कॉलेज,
इंदौर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल (मध्य प्रदेश) से उर्दू साहित्य में एमए पास किया। रहत को पीएच.डी. उर्दू साहित्य में उर्दू मुख्य मुशायरा शीर्षक से 1985 में मध्य प्रदेश के भोज विश्वविद्यालय से।
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Hon lakh zulm magar baddua
nahin denge Zameen maa hai,
zamin ko daga nahin denge
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Humein to sirf jagaana hai
sone walon ko Jo dar khula hai
wahaan hum sadaa nahin denge
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Rivayaton ki safein todhkar
badho warna Jo tumse aage hain
wo rasta nahin denge
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Sharaab peeke bade tajurbe
hue hain humein Shareef logon ko
hum mashvira Nahin denge
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हूँ लाख ज़ुल्म मगर बद्दुआ नहीं देंगे
ज़मीन माँ है, ज़मीं को देगा नहीं देंगे
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हमें तो सिर्फ जगाना है सोने वालों को
जो दर खुला है वहाँ हम सदा नहीं देंगे
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रिवायतों की सफें तोड़कर बढ़ो वर्ण
जो तुमसे आगे हैं वो रास्ता नहीं देंगे
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शराब पिके बड़े तजुर्बे हुए हैं हमें
शरीफ लोगों को हम मशविरा नहीं देंगे
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... Thank You ...
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