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Tera Intezaar Ab Bhi Hai | Paridhi Goel | The Social House Poetry |
इस कविता के बारे में :
इस काव्य 'तेरा इंतज़ार अब भी है' को Social House के लेबल के तहत परिधि गोयल ने लिखा और प्रस्तुत किया है।
शायरी...
हम शायरों की दुनिया का बस इतना सा फ़साना हैं
जो दिल मे आता हैं वो पन्नों पर बिखर जाना हैं
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कि मेरी डायरी के पन्ने कुछ इस अंदाज मे पढ़े उसनेयू लगा कि सारी शिकायतें आज ही दूर कर देगा
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कि तू ज़िंदगी कीं कशमकश में इतना मदहोश हैं
कि तूने सुना ही नहीं वो शोर मेरे अन्दर जो बहुत खामोश हैं
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जाने क्यू खुदा से इक दरकार अब भी हैं
मुझे तेरे वापिस आने का इंतजार अब भी है
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तुझे वापिस पाना चाहती भी हू और नहीं भी
क्युकी तुमसे शिकायतें हजार अब भी हैं
मुझे तेरे वापिस आने का इंतजार अब भी है
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भले ही मिलते ना हो एक दूसरे से अब हम
पर तेरे दिल से जुड़े मेरे दिल के तार अब भी है
सब छूट गया जाना तुझे पाने की चाहत में
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मेरी इस बर्बादी का जिम्मेदार तू अब भी हैं
मुझे तेरे वापिस आने का इंतजार अब भी है
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एक अर्सा बीत गया हमे मिले हुए
पर आंखों मे तेरा दीदार अब भी है
अब तो हैलो हाय भी नहीं होती Whatsapp पर
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पर मुझे तेरा लास्ट सीन देखना बार बार अब भी है
मुझे तेरे वापिस आने का इंतजार अब भी है
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कि दिल करता है कि तू भाग कर
आए और मुझे गले लगा ले
तेरी बाहों मे उस जन्नत का एहसास अब भी है
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वो हर लम्हा जो बिताया है तेरे संग मेने
मुझे उसका नशा और उसका खुमार अब भी है
मुझे तेरे वापिस आने का इंतजार अब भी है
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तू भी चाहता है मुझे वापिस चाहना जानती हू
मगर मेरे होठों पर झूठा इंकार अब भी है
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दिमाग कहता है अक्सर मत सुन दिल की
मगर मे क्या करू मेरे दिल को
तुमसे प्यार अब भी है
मुझे तेरे वापिस आने का इंतजार अब भी है
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... Thank You ...
( Disclaimer: The Orignal Copyright Of this Content Is Belong to the Respective Writer )
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