ज़ाकिर खान: इश्क़ का हासिल और जमा
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Ishq Ka Hasil Aur Jama | Best Zakir Khan Poetry |
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6 हेयर बैंड
4 अलग अलग तरह की बालों वाली क्लिप्स
वोह… उस दिन जो संदल टूटी थी तुम्हारी,
उसका एक स्ट्राप।
और हाँ वोह किताब जिसके पन्ने
मोड़ कर दिए थे तुमने।
संभल रखा है मैंने सब,
जब आओगी तोह ले जाना ।
***
वैसे छोटे बड़े मिला कर,
कुछ 23 कपडे भी पड़े है तुम्हरे
उनमे से, कुछ में तुम
बाला की हसीं लगी
जैसे वोह रेड वाला टॉप
और ब्लैक वाली ड्रेस
वोह बेबी पिंक क्रॉप टॉप
और वोह ग्रीन जम्प सूट ।
***
सब यहीं पड़ा है
तोह मैं बस यह कह रहा था की
खरीद लेना न वैसा सा ही
कुछ कही से क्यूंकि,
सच कहु तोह लौटने का
दिल नहीं करता मेरा ।
***
नहीं नहीं मज़ाक कर रहा हूँ ,
संभल रखा है मैंने सब ,
जब आओगी तोह ले जाना ।
वैसे कुछ हिसाब भी देना था तुमको ,
जो तुम्हारी मेरी तस्वीर वाला ,
कॉफ़ी मग दिया था तुमने ।
***
उसका हैंडल टूट गया है मुझसे ।
ब्लू वाली शर्ट भी पिछेल 2 हफ़्तों ,
मिल नहीं रही है कहीं पर और
परफ्यूम ख़तम हो गया है
घडी खोयी नहीं है पर बैंड हो गयी थी
इसलिए उतर राखी है ,
***
बस बता रहा हूँ तुम्हे
वोह ग्रीन वाली चेक शर्ट धोबी ने जला दी
वुडलैंड वाले जूते ज़ीशान ले गया
तुम्हारे दिए एअरफोन्स और चश्मा
एक दिन एयरपोर्ट पर
जल्दबाज़ी में छूट गए
बहुत ढूंढा,
नहीं मिले पर
***
वोह सूखा हुआ गुलाब के
फूलो का गुलदस्ता
तुम्हारी लिपस्टिक के
निशाँ वाला पेपर कप
वोह टिश्यू पेपर जिस पर तुमने
नंबर लिख कर दिया था
तुम्हारी कार पार्किंग की पर्चियां
वोह टूटे हुए क्लूचेर के दोनों हिस्से
तुम्हरे मोरे पंख वाले झुमके
***
और मैं…
यह सब कुछ जो भूल गयी थी तुम
या शायद जानकार छोड़ा था तुमने
अपनी जान से भी जयादा,
संभल रखा है मैंने सब
जब आओगी तोह ले जाना
*****
... Thank You ...
( Disclaimer: The Orignal Copyright Of this Content Is Belong to the Respective Writer )
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