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Tumhe Jism Ke Siwa By Nancy Goyal | Hindi Poetry | Storytelling |
इस कविता के बारे में :
इस प्रेम काव्य 'तुम्हे जिस्म के सिवा' को वोर्डसूत्र के लेबल के तहत नैंसी गोयल ने लिखा और प्रस्तुत किया है।
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क़ुरान महाभारतों में इतने करीब से कुछ न जताया होगा
जितना में सिर्फ तेरी पलकों के बारे में बता सकती हु
रामायण में इतना राम राम न लिखा होगा
जितना में तेरा नाम पुकार सकती हु
***
हम दोस्त ही अच्छे थे साथ बैठकर मुस्कुराया करते थे
तब भी हर आंसू बात जाया करते थे
तुम तब भी हमे पागल कहकर ही बुलाया करते थे
बस अब फरक इतना है तब वक़्त मांगना नहीं पड़ता था
अपनी एहमियत को तुम्हे याद दिलाना नहीं पड़ता था
***
तुम्हे किसी और के साथ देख
खुद को जलना नहीं पड़ता था
तब न रोक टोक थी न ही पाबंदिया मुझ पर
किसी से पूछ कर मुझे कही जाना नहीं पड़ता था
अब तो हर वक़्त तुम्हारे किसी
पैगाम का इंतज़ार रहता है
तुम्हे फरक पड़ता भी है या नहीं
इसी बात से दिल परेशान रहता है
***
देखलु किसी को गले लगते तुम्हरें
दिल संभाले नहीं संभालता है
तुम नाराज़ न हो जाओ फिर किसी बात पर
अब इसी परेशानी में दिन ढलता है
***
खैर
जो यु तुम मुझे हर दफा पागल कहते थे
तो अब ज़रा पागल होना भी तोह मेरा बनता है
जब बेवजह यु छोड़ कर चले गए थे तुम
तब सोच खुद को बर्बाद करना भी बनता है
***
जब आंसू देख मेरे माँ घबराई थी
तब लगा मेरा सभलना भी बनता है
लगा मुझे हम दोस्त ही अच्छे थे लेकिन सच है
की मुझपे तेरा दोस्ती का हक़ भी नहीं बनता है
***
अंदाज़े बया करना नहीं आता तुम्हे तो
प्यार निभाना क्या करना भी नहीं आता
तुम्हे देख कर में जो सपने देखा करती
थी उन्हें हक़ीक़त में बदलना क्या
तुम्हे तो ख्वाबो में मेरा एक बार ख्याल तक नहीं आता
***
सोचा था मैंने मेरे रूह की रूहानियत हो तुम
तुम्हे तो जिस्म के सिवा समझ में कुछ नहीं आता
अंदाज़े बया करना नहीं आता
***
लगा मुझे शब्दों से खेलने का शौक है
तुम्हे तो भावनाओ का मजाक बनाने
के सिवा कुछ नहीं आता
लगा मुझे मिलनसार हो तुम पर तुझे
धोका देने के सिवा कुछ नहीं आता
दिल लगा बैठी थी तेरे साथ पर तुझे
दिल का मतलब तक नहीं आता
***
लगा मुझे सुधर रहा है धीरे धीरे तू पर तुझे
जल्दी जल्दी रिश्ते बदलने के सिवा कुछ नहीं आता
जनता है एक बात तू मुझे अब भी तुझ से
मोहब्बत निभाने के सिवा कुछ नहीं आता
***
मुझे अब भी तेरे अलावा कुछ नज़र नहीं आता
तू नहीं है मेरा ना ही कभी था पर न जाने
कियु मुझे तेरे अलावा कोई भी नहीं भाता
***
तू जा निभा दोस्ती जितनी निभा सकता हो
लगाले दिल या कर अय्याशी जितनी कर सकता हो
खैर
मुझे तो ये सारा कमाल भी नहीं आता
पर याद रखना मेरे खयालो में भी
अब तेरा ख्याल नहीं आता
मैंने हाफिज की तरह पूजा तुझको
तूने खाफिर की तरह छोड़ दिया मुझको
*****
... Thank You ...
( Disclaimer: The Orignal Copyright Of this Content Is Belong to the Respective Writer )
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