Nidhi Narwal, Immature Ink, Instagram Quotes
 |
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes | Whatsapp Status |
......
क़तरा - क़तरा है सांस का रख हो रहा
खाल -इ- लिबास अंदर से खाक हो रहा
कश - कश करके उड़ा रहा ज़ीस्त को
धुंए में लिपटी सुलगती शाख हो रहा
बोहुत वक़्त हो चूका है
वैसे तो उस वक़्त को गुज़रे
वो वक़्त मगर नज़रों के
आगे से गुज़रता दिखता है
रोज़ मुझे
कभी एक - एक लम्हा उस
वक़्त का जी उठता है
ज़हन में नींद से
वो एक - एक लम्हा फिर दम
तोड़ कर मरता दिखता है
रोज़ मुझे
वक़्त गुज़रता दिखता है
रोज़ मुझे
राहगुज़र खड़ा रहता है
रुखसत करके हज़ारों को
जानता है मगर बताता नहीं
उनके घर का पता बंजारों को
तेरा इश्क़ जैसे खंजर हो सीने में
निकालकर जिसे फ़ेंक देना भी ज़ख्म देगा
और सीने में रख लेना तोह दर्द है ही
बावरे खुदा,
तुम्हारा कोई मंसूबा सफल नहीं होगा
जो तुम सोचे बैठे हो कभी वो "कल" नहीं होगा
जिस पल मिट ही जाएंगे बैर बन्दे क बन्दे से
मुन्तज़िर ही रहेगा, मुमकिन वो पल नहीं होगा
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
मलाल हो तोह पैन याद आएं, कुछ लिखा जाए
मस्सर्रत में भला कब किसीको याद करते हैं हम
जो चल रही है वो ज़िन्दगी
जो रुकी सी लगे है वो ज़िन्दगी
जो पीछे कहीं छूती सी लगे
साथ जो चल रही है वो ज़िन्दगी
प्यारी, खूबसूरत, सुकून सी लगे
सीने में जो खाल रही है वो ज़िन्दगी
ठीक-ठाक नज़र को दिखे
गिरकर संभल रही है वो ज़िन्दगी
रिक्शावाला-
आधी-आधी हवा है टियर में
और पैदल टूटा-फोटा सा
बरसात में भीगी छत्त से
तप-तप पानी टपक रहा
ज़ोर लगाकर पूरा अपना
था बूढा वो रिक्शा खींच रहा
चढ़ाएं पर से भी, ढलान पर से भी
वो रुका ही नहीं, थका ही नहीं
सुन रिक्शावाले,
मुझे बह ज़िन्दगी चलानी सीखा दे ?
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
उलझ कर देखा था उससे..
के अब, उसमें ही उलझी रहती हूँ
मंज़िल दिख रही ठीक सामने
और पूछ रहे हो
"कितना और चलना है ?" बोलो कभी आफताब ने पूछा
ढलते हुए ये रात से की
"कितना और ढालना है ?"
just cut the crap
and not the wrist..
learn to live
not just to die one day...
but to not die every day...
थक्क जाते हैं लोग अक्सर खली बैठे-बैठे ही
तुम इतने वक़्त से दिल तोड़े जा रहे हो, थके नहीं ?
"कहीं ले चल मुझे तू ज़िन्दगी,
अभी रुक जा यहीं तू ज़िन्दगी .."
ज़िन्दगी रिक्शा है क्या ?
एक ख़याल हो
एक मलाल हो
एक मलाल का ख़याल हो
एक ख़याल का मलाल हो
लिखने को
जब तुम मोहब्बत करने की बात करते हो
सच कहु ? सर से पैर तक गद्दार लगते हो
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
हम रुखसत होने लगे जब उनके
शहर से वो बरसात ले आये
जान जा ही रही थी जाते जाते वो
आकर कहीं से जान ले आये
कितनी शिद्दत है तेरी यादों में मुझसे लिपटे रहने की
मैं लिहाज़ भूलकर बदनाम करती हूँ रोज़ इन्हे
ये फ़क़त हस देती हैं रुखसत नहीं होती
मैं दायरे लांघ कर हैरान करती हूँ रोज इन्हे
ये फ़क़त हस देती हैं रुखसत नहीं होती
गहरा सा ज़ख्म मिलता है ठीक क़ल्ब क बीच कहीं
जायज़ है मोहब्बत है कोई दो दिन का इश्क़ नहीं
क्या कहु और क्या नहीं
तू है इधर या है नहीं ?
सब कुछ यहीं है कुछ नहीं
जान है मगर जान है नहीं
एक परिंदे को भेजा था
की तुझसे पैगाम ही कोई मिल जाता
मगर परिंदे को भी शायद तेरी हवा लग गयी
Some people will always laugh at you.
Make sure you laugh louder.
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
एक शहर में क्या कहु कितनी ही दफा मर रही थी मैं
कितनी आज़ाद थी सांसें मेरी जब अपने घर रही थी मैं
फ़र्क़ बस इतना सा रहा के
वो बोला "देर हो गयी है , तोह अब चली जाऊ तुम "
मैं बोली "देर हो ही गयी है तोह यही रुक जाऊ न ?"
Your shirt would smell of me.
Even when I'm not there,
you'll be dressed in my fragrance,
and then, you would sit and remember,
how I looked my best in 'your shirt'
राहों में वो मुझे गिरने देता है बचाता नहीं
दो-कौड़ी और सस्ती सांस मेरे हाथ में थमाता नहीं
मंज़िल भी हैरानी से देखती है मेरी तरफ़
मेरा बाप मुझे मुफ़्त का खाना सिखाता नहीं!
उससे कहो जाकर के वो लौटकर तो आए ज़रा
मैं बर्बाद नहीं हुआ हूँ अभी
उससे कहो मुझे एक निगाह भर देखकर वो मुस्कुराए ज़रा
मैं गिरा नहीं हूँ खड़ा हूँ अभी
उससे कहो मुझे धक्का मारकर गिराए ज़रा
के उसे भी तो पता चले
अब मैं उसका परवाना नहीं रहा!
ये बत्तियाँ बुझा दो अभी के अभी
मुझसे सोया नहीं जाता बात ये नहीं
ये तीर के जैसी लगती हैं आंखों में के उफ्फ़!
जागा भी जाता नहीं
Being empty is not being null,
it's being filled with problems inside,
it's being filled with less love.
Emptiness is full of chaos.
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
नज़रें मिला, मुझे देख तो सही
मैं हूँ इधर, मैं हूँ यहीं
तू जफ़ा अकेला क्यों सहता है?
जब तू अकेला है ही नहीं
बड़ा सारा एक मुसीबतों का ढ़ेर है
जिसमें कहीं एक छोटी सी जिंदगी है
कुछ अल्फाज़ लापरवाही में बिखर क्या गए मुझसे
पूरे शहर में तुमने मुझे शायर करार कर दिया?
उसकी आंखों में इज़हार
और बातों में इंकार है
मेरे संग जीने से कतरा रहा
मेरे लिए मरने को तैयार है
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
कुछ कम लग रही है ये ज़मीन
कुछ ज़्यादा ये ग़म लग रहा है
कई ग़ैरों को दिल में बसाते-बसाते
अपना वजूद अब कम लग रहा है
इतनी ग़ुमशुदा हो गयी हूँ खुदसे मैं
के शीशे में भी अब कोई मुझसा नज़र नहीं आता!
I've lost pieces of me
bit by bit
to your broken halves
And now
that I don't have you,
I don't have myself either.
And if I end up writing 'nothing'
Would that mean I wrote something?
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
आंखों में रंग फेंककर नज़रों को मेरी वो अंधा कर गया
मोहब्बत के नाम पर जज़्बातों का मेरे वो धंधा कर गया
हज़ारों टुकड़े मेरे ज़हन के बेकस (अकेला) वो एक बन्दा कर गया
कितनी सफ़ाई से इतबार मेरा वो सारा का सारा गंदा कर गया!
मैं टूटकर आई तो टुकड़े नहीं लुभाए उनको
मैंने टुकड़ों को समेटा तो दरारें ही नज़र आई उनको!
He loved me and destroyed me
He loved to destroy me
But he never loved the destroyed me.
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
ये नकाब ये चहरे जा कहीं रख आ तू जाकर
बात क्या है आखिर? आज बता तू आकर!
तुम लगा लो ज़ोर वो बोलेगी नहीं
माँ है,
वो दर्दों का पिटारा तुम्हारे आगे खोलेगी नहीं!
तुम ज़ोर से रुलाओ वो आराम से हंस देगी
माँ है,
वो कर्ज़ में रहकर तुम्हें मुफ़्त में सब देगी!
बीच में बस एक दीवार है
मग़र सामने हम दोनो के सलाखें हैं
किसी एक को तो बेल मिले
बस इसी इंतज़ार में आंखें हैं
मजबूरियाँ हैं, दूरियाँ हैं, फ़ासले हैं
तेरे मेरे दरमियाँ ये ज़माने के किए फ़ैसले हैं
कितने क़रीब पर कितने दूर हैं हम
मानो किसी अंधे के सामने मंज़िलें हैं
मोहल्ला याद दिलाता रहता है कि
ज़ख्मी होकर गिर चुका वो परिंदा हूँ मैं
और यार भूलने नहीं देते कि
अभी तो फिलहाल ज़िंदा हूँ मैं
तुम्हें क्या लगता है
मैं अपने आंसुओं को तुम्हारा नाम देकर
यूं ही ये बयान कर दूंगी क्या कि
कितना आसान है तुम्हारा मुझसे अलग हो जाना..
आंसुओं की तरह..
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
बड़ा ताज्जुब होता है सोचकर कि
सफ़र चल रहा है और हम सब रुके
तुझे पूरा लिखूं, अधूरा लिखूं
मैं रातों में बैठकर, तुझे "सवेरा" लिखूं
मैं जब भी लिखूं बस इतना लिखूं
तू सुने मुझे, तुझे "मेरा" लिखूं
दूर जाना भी दुश्वार नहीं
तुम्हें मुझसे है प्यार यही
फिर किस को यूं बहकाते हो?
मैं सुन लेती हूँ जो तुम
चुप रहकर कह जाते हो..
ज़मीन पर अश्को का दरिया है
दरिया में बुझी सिगरेट का ज़जीरा उसने बना दिया
शराफ़त को अपनी पहले मारा जान से
शब को उसने फिर चीरा और जला दिया
गुलाब को रखो बगल में
ज़रा ये कांटे फ़िलहाल मुझे देदो
बेफिक्री से महक रही है सांसे मेरी
अरे कोईतो मलाल मुझे देदो
ज़िन्दगी से कुछ ज्यादा नहीं चाहिए
मेहबूब से मर-मिटने का इरादा नहीं चाहिए
मुझे मेरी रूह, जिस्म, क्लब पूरा-पूरा अदा करो
टुकड़ो में बिखरा सब आधा-आधा नहीं चाहिए
दिल के मसले
ज़िद्दी जज़्बात
पुरे झगडे और
अधूरी बात
मुंतज़िर सपने
जगी सी रात
सलामत यादे
और बिगड़े हालत,
इनका हल करना है
पर अभी-अभी महसूस हुआ है
के कल मरना है।
है कहते तो थे वो मुझसे कई दफा
की तुम्हारी मुस्कान से मोहब्बत है बेपनाह
शायद इसलिए अपने साथ ले गए।
Nidhi Narwal | Immature Ink | Instagram Quotes
में खुदा से मन्नंत में उसे नहीं मांगती
उसकी मसर्रत मांगती हूँ
उसके आगे से गुज़र जाऊ उसे बिना देखे
बस इतनी जुर्रत मांगती हूँ
मैंने खुद को
ज़िंदा रहकर मरते देखा है
लोग बुलाओ , ढूंढ़ने जाओ
मुझसे कही दूर उस तरफ
मैंने खुद को गुज़रते देखा है ।
.
.
.
.
... Thank You ...
( Disclaimer: The Orignal Copyright Of this Content Is Belong to the Respective Writer )
@immature_ink , @nidhi.narwal_
0 Comments