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Evergreen Shayaris By Mirza Galib
Evergreen Shayaris By Mirza Galib
Evergreen Shayaris By Mirza Galib
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" आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक "
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" उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है "
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" रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब'
कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था "
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" न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता "
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" मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले "
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" कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता "
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" कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले "
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" काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुम को मगर नहीं आती "
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" हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले "
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" फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल
दिल -ऐ -ग़म गुस्ताख़ मगर याद आया
कोई वीरानी सी वीरानी है .
दश्त को देख के घर याद आया "
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" मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब
यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी "
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" तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब
के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे "
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" बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब
जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है "
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" खुदा के वास्ते पर्दा न रुख्सार से उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा न हो जहाँ भी वही काफिर सनम निकले "
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" रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब'
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल "
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" जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल "
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... Thank You ...
4 Comments
ग़ालिब साहब की शायरी का लाज़वाब कलेक्शन Mirza Ghalib Shayari
ReplyDeleteशुक्रिया
DeleteVERY NICE शायरी हिंदी लव
ReplyDeleteThanks For sharing this article with us. Keep it up this kind of work in Future .You may also interest my Punjabi Quotes in Punjabi Font
ReplyDeletePunjabi Quotes
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